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Archives for November 2017
ज़िंदगी से मेरा रिश्ता
ज़िंदगी से मेरा रिश्ता
जी का जंजाल बनती जा रही है ज़िन्दगी छोड़ देना चाहता हूं
उकता गया हूं इससे भाग जाना चाहता हूं
जहां रहा ही ना कोई अपना वहां क्या वक़्त गुजारूं
ऐसी तकलीफों के दौर से निकल रहा हूं कि ज़िन्दगी फूंक डालूं
फिर एक विचार दिमाग में कौंधता है
जिससे बिछड़ने का ग़म है उसी की कही बात दोहराता है
वो कहता है.......ऐसे किसी खयाल से पहले ये खयाल करना
ना हो अपना ख्याल तो अपनों का कुछ खयाल करना
ज़िन्दगी को ज़िन्दगी के सफर में तनहा क्यों छोड़ना
कुछ पल के मुश्किलों के लिए ज़िन्दगी को वक़्त से पहले क्यों छोड़ना
मिलेगा कुछ वक़्त हालात को, तो सुधर जाएगी
संभालो, बिगड़ती ज़िन्दगी भी संवर जाएगी
अच्छे - बुरे का तांता लगा रहता है
इनसे ज़िन्दगी का स्वाद बरकरार रहता है
तो क्या अगर ज़िन्दगी ने तेरे लिए कुछ बुरा कर दिया
अच्छा होगा अगर तूने कुछ ज़िन्दगी के साथ अच्छा कर दिया
हमेशा ज़िन्दगी तेरे लिए कुछ करती आई है
मुकम्मल अवसर है जो ये घड़ी तेरे हिस्से आई है
तू भी मौका हाथ से मत जाने दे
एक मौका ज़िन्दगी को भी संभलने का दे दे
-सौरभ सिंह
Zindagi se mera Rishta
Jee ka Janjaal banati jaa rahi hai zindagi chhod dena chahta hu
Ukta gaya hu isse bhag jaana chahta hu
Jahaan raha na koi apna waha kya waqt gujaarun
aisi taqlifon ke daur se nikal raha hu ki zindagi foonk dalu
Fir ek vichaar dimaag me kaundhata hai,
jisse bichhadane ka gham hai ussi ki kahi baat dohraata hai
wo kehata hai....Aise kisi Khayal se pehle ye khayaal karna
na ho apna khayaal to kuchh apno ka khayaal karna
Zindagi ko zindagi ke safar me tanha kyu chhodna
kuchh pal ki mshkilon ke liye Zindagi ko waqt se pehle kyu chhodna
Milega kuchh waqt halaat ko, to sudhar jaayegi
sambhalo, bigdati zindagi bhi sanwar jaayegi
achhe-bure ka taanta laga rehta hai
isse zindagi ka swad barkaraar rehta hai
to kya agar zindagi ne tere liye kuchh bura kar diya
achha hoga tune kuchh zindagi ke saath achha kar diya
Hamesha zindagi tere liye kuchh karti aai hai
mukammal awasar hai tere pass jo ye ghadi tere hisse aai hai
tu bhi mauka haath se mat jaane de
ek mauka zindagi ko bhi sambhalane ka de de
- Saurabh Singh
जीने की ज़िद
जीने की ज़िद
कभी ख्यालों में ऐसे ही था वो मेरे ,
जैसे मेरा किस्सा हो
जुदा होने का ख्याल भी तोड़ जाता था दिल को मेरे
जैसे कोई जीवित हिस्सा हो
पर जब आज वो हमेशा के लिए मुझसे जुदा है,
मैं फिर भी जिन्दा हूँ
कभी जिसके बगैर ज़िंदगी की कल्पना भी मुमकिन नहीं थी
उसके बगैर जिदा हूँ
बिना किसी के तवज्जो के
उठना, खड़ा होना और अपनी पहचान बनाना,
बिना किसी सहारे के
झिंझोड़ दिया मुझे उस किस्से ने,
मैं उठ खड़ी हुई
आज नया सवेरा देखा मैंने मुझमे,
आज नींद पूरी हुई
हो सकता है कभी गलत फैसले हो जाएँ, कोई बातनहीं
मुमकिन हैं कभी राहें भटक जाएँ, कोई बात नहीं
जिसे चाहा भले उसका साथ नहीं मिला
पर फिर भी मैं खुश हूँ........
खुश हूँ मैं आज कि मैं ज़िंदा हूँ
खुली हवा , खुला आसमाँ, आज मैं आज़ाद परिंदा हूँ
- सौरभ सिंह
Jaise mera kissa ho
Juda hone ka khayal bhi tod jaata tha dil ko mere
Jaise koi jivit hissa ho
Par jab aaj wo hamesha ke liye mujhse juda hai
Main phir bhi jinda hu
Kabhi jiske bagair Zindagi ki kalpana bhi mumkin nahi thi
Uske bagair jinda hu
Achha laga apne wajood ko pehchanna
Bina kisi ki tavjjo ke
Uthna, khada hona aur apni pehchaan banana
Bina kisi sahaare ke
Jhijhod diya mujhe uss kisse ne
Main uth khadi hui
Aaj naya savera dekha maine mujhme
Aaj neend poori hui
Ho sakta hai kabhi galat faisle ho jaayen, koi baat nahin
mumkin hai Kabhi raahein bhatak jaayen, koi baat nahin
Kuchh seekhh mili, kuchh sabak mila
Jise chaha bhale uska saath nahi mila
Par phir bhi main Khush hun....... Khush hun main aaj ki main jinda hun
Khuli hawa, khula aasmaa, aaj main aazad parinda hun
Jise chaha bhale uska saath nahi mila
Par phir bhi main Khush hun....... Khush hun main aaj ki main jinda hun
Khuli hawa, khula aasmaa, aaj main aazad parinda hun
- Saurabh Singh
क्या कहुँगा ?
क्या कहुँगा ?
मिलकर तुझसे मैं क्या कहूँगा ?
बिना तेरे गुजरे लम्हों की दास्तान कहूँगा ,
मेरे तसव्वुर में तेरे वजूद की,
और तेरे इंतज़ार में गुजरे वक़्त की दास्तान कहूँगा
एक एक पल सदियों से निकले
कैसे गुजारी ये सदियाँ ये कहूंगा
लोगों के बीच भी अकेला रहा मैं
कैसे कटा ये समय अकेला रहकर ये कहूंगा
जब तसव्वुर से गए ही नहीं याद क्या करता
"याद नहीं आई ?" इसके जवाब में ये कहूंगा
आ जाओ अब कब तक इंतज़ार करूँगा
Kya Kahungaa ?
Milakar Tujhse main kya kahunga?
Bina Tere Gujare Lamhon ki Dastaan Kahunga,
Mere Tasvvur Me tere vajood ki,
aur Tere intzaar me gujare waqt ki dastaan kahunga.
Ek Ek Pal sadiyon se nikle
kaise Gujaari ye sadiyaan ye kahunga
logon ke beech bhi akela raha main
kaise kata ye samay akela rehkar ye kahunga.
jab tasvvr se gaye hi nahin yaad kya karta
"yaad nahi aai?" iske jawab me ye kahunga
aa jao ab kab tak intzaar karunga
baaten bahut hain, baki ab tumse milkar kahunga.
- SAURABH SINGH
मिलकर तुझसे मैं क्या कहूँगा ?
बिना तेरे गुजरे लम्हों की दास्तान कहूँगा ,
मेरे तसव्वुर में तेरे वजूद की,
और तेरे इंतज़ार में गुजरे वक़्त की दास्तान कहूँगा
एक एक पल सदियों से निकले
कैसे गुजारी ये सदियाँ ये कहूंगा
लोगों के बीच भी अकेला रहा मैं
कैसे कटा ये समय अकेला रहकर ये कहूंगा
जब तसव्वुर से गए ही नहीं याद क्या करता
"याद नहीं आई ?" इसके जवाब में ये कहूंगा
आ जाओ अब कब तक इंतज़ार करूँगा
बातें बहुत हैं, बाकि अब तुमसे मिलकर कहूंगा
- सौरभ सिंह
Kya Kahungaa ?
Milakar Tujhse main kya kahunga?
Bina Tere Gujare Lamhon ki Dastaan Kahunga,
Mere Tasvvur Me tere vajood ki,
aur Tere intzaar me gujare waqt ki dastaan kahunga.
Ek Ek Pal sadiyon se nikle
kaise Gujaari ye sadiyaan ye kahunga
logon ke beech bhi akela raha main
kaise kata ye samay akela rehkar ye kahunga.
jab tasvvr se gaye hi nahin yaad kya karta
"yaad nahi aai?" iske jawab me ye kahunga
aa jao ab kab tak intzaar karunga
baaten bahut hain, baki ab tumse milkar kahunga.
- SAURABH SINGH
हया
हया
गाहे-बगाहे खिडकियों से देख लेती है
पैरों की आहट सुन दरवाजे की ओट से देख लेती है
शरमाती है, लजाती है पर जब देखने को जी चाहता है
अपने पिया को कनखियों से देख लेती है
Haya
Gaahe-Bagaahe Khidkiyon se dekh leti hai
Pairon ki aahat sun darwaaje ki oat se dekh leti hai
Sharmaati hai, Lazaati hai par jab dekhne ko jee chaahta hai
Apne Piya ko kankhiyon se dekh leti hai
- Saurabh Singh
गाहे-बगाहे खिडकियों से देख लेती है
पैरों की आहट सुन दरवाजे की ओट से देख लेती है
शरमाती है, लजाती है पर जब देखने को जी चाहता है
अपने पिया को कनखियों से देख लेती है
- सौरभ सिंह
Haya
Gaahe-Bagaahe Khidkiyon se dekh leti hai
Pairon ki aahat sun darwaaje ki oat se dekh leti hai
Sharmaati hai, Lazaati hai par jab dekhne ko jee chaahta hai
Apne Piya ko kankhiyon se dekh leti hai
- Saurabh Singh
संगत का असर
संगत का असर
तेरी मुस्कान से मौसमों के मिजाज बदलने लगे,
तेरी आवाज़ से साज-ओ-सरगम के लय बदलने लगे,
कैसे बयां करूँ उन लम्हों को जब मैं तुमसे मिला,
तेरी संगत के असर से ये मेरे तेवर बदलने लगे।
- सौरभ सिंह
Sangat ka Asar
Teri Muskaan se mausamo ke Mizaaz badalane lage,
Teri Aawaz se Saaz-o-Sargam ke lay badalane lage,
kaise Bayaan karoon un lamhon ko jab main tumse mila,
Teri Sangat ke asar se ye mere tevar badalane lage.
- SAURABH SINGH
तेरी मुस्कान से मौसमों के मिजाज बदलने लगे,
तेरी आवाज़ से साज-ओ-सरगम के लय बदलने लगे,
कैसे बयां करूँ उन लम्हों को जब मैं तुमसे मिला,
तेरी संगत के असर से ये मेरे तेवर बदलने लगे।
- सौरभ सिंह
Sangat ka Asar
Teri Muskaan se mausamo ke Mizaaz badalane lage,
Teri Aawaz se Saaz-o-Sargam ke lay badalane lage,
kaise Bayaan karoon un lamhon ko jab main tumse mila,
Teri Sangat ke asar se ye mere tevar badalane lage.
- SAURABH SINGH
हालात और मैं
हालात और मैं
फना होते इन अश्कों में ,
पलकों से छलकते इन एहसासों में,
ऐसा लगता हैं आँधियों में अकेला खड़ा हूँ
पर ऐसे ही हालात नई ऊर्जा रवां कर देते हैं मुझमें
- सौरभ सिंह
Halaat aur Main
Fanna hote in ashqon me,
palkon se chhalakate in ehsaason me
aisa lagta hai Aandhiyon me Akela Khada hu,
par aise hi halaat nayi urja ravaan kar dete hain mujhme.
- Saurabh Singh
नया मुकाम तलाशो
अगर ज़िन्दगी में सब बुरा हो रहा है और कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा हो। ऐसा लगे की सभी दरवाजे बंद हैं तो भी हिम्मत मत छोड़ों। अपने सपनों को पाने की कोशिश करिये। इसी सन्दर्भ में मेरी ये कविता है....... नया मुकाम तलाशो। Always be Positive
नया मुकाम तलाशो
फिर अपना नया मुकाम तलाशो
अपनी नयी जमीं और नया आसमां तलाशो
छोड़कर सब कुछ अब नया बनाने की मुहीम है
भूलकर अपने आप को अब नयी पहचान तलाशो
तूफानी लहरें अगर कश्ती के मन में डर पैदा कर दें तो साहिल से मिलना मुमकिन नहीं
इसलिए लहरों का डर मन से निकाल कर लहरों में से अपनी राहें तलाशो
महज़ मज़िलों की ख्वाहिश और इंतज़ार से से मकाम नहीं बना करते
अंजाम तो मिल जाएगा बस एक जायज़ आगाज़ तलाशो
हर अरमान, तमन्ना, आरज़ू, ज़ुस्तज़ू, ख्वाहिश पूरी हो जायेंगी
अपनी मज़िल को निगाहों में रख कर उन तक पहुँचने की राहें तलाशो।
- सौरभ सिंह
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